यही पाकिस्तानी लोकतंत्र है
मुमकिन है कि अगले आम चुनाव के बाद नवाज शरीफ को फिर से प्रधानमंत्री बना दिया जाए। आरोप है कि शरीफ की सेना के साथ डील हो गई है। इसके तहत सत्ता में उनकी वापसी की योजना को अंतिम रूप दिया जा चुका है। नवाज शरीफ को जब भ्रष्टाचार के मामलों में सजा सुना कर देश निकाला दिया गया था, तब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने राजनीतिक करियर अंत के लिए पाकिस्तानी सेना के उच्च अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया था। उनका बयान इस बात की पुष्टि था कि पाकिस्तान में सेना नेतृत्व ही प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर देश की कमान संभालते रहता है। तब सेना ने एक बार पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के नेता इमरान खान को मौका देने का मन बनाया था। लेकिन अपने स्वभाव के मुताबिक इमरान सचमुच देश का नेतृत्व करने की महत्त्वाकांक्षा पाल बैठे। उन्होंने कुछ ऐसे फैसले लिए, जिनसे अमेरिका से निकट संबंध में स्वार्थ रखने वाले सैन्य अधिकारियों के हितों को चोट पहुंची। तो सैन्य अधिकारियों ने उन्हें हटाने का फैसला किया। खबरों के मुताबिक इमरान खान को भी देश से बाहर चले जाने का विकल्प दिया गया था, लेकिन उन्होंने उसे ठुकरा दिया। नतीजा यह है कि वे जेल में दिन काट रहे हैं।
इस बीच सैनाध्यक्ष बदले, जिससे परिस्थितियां नवाज शरीफ के और अनुकूल हुईं। तो उन्हें सजा से राहत दिलवाने और देश लाने की कवायद पूरी हो गई है। मुमकिन है कि अगले आम चुनाव के बाद उन्हें फिर से प्रधानमंत्री बना दिया जाए। इमरान खान की पार्टी ने सार्वजनिक आरोप लगाया है कि नवाज शरीफ की सेना के साथ डील हो गई है। इसके तहत जनवरी में होने वाले चुनावों से सत्ता में उनकी वापसी की योजना को अंतिम रूप दिया जा चुका है। नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) कह चुकी है कि पूर्व प्रधानमंत्री चुनाव लडऩे का इरादा रखते हैं। इस बात की संभावना इतनी मजबूत है कि पाकिस्तान के टीकाकारों ने कटाक्ष किया है कि अगर यह सब तय ही है, फिर चुनाव पर खर्च करने की जरूरत ही क्या है! पाकिस्तान की न्यायपालिका का हाल यह है कि नवाज शरीफ की देश वापसी को निर्बाध बनाने के लिए वहां की एक अदालत ने विशेष कार्यवाही के जरिए उन्हें जमानत दी है। मतलब वही कि पाकिस्तान में फैसले सेना लेती है और उसके बाद सारा तंत्र उसे अमली जामा पहनाने में जुट जाता है।