चकराता में अवैध वृक्ष कटान के आरोप में कई वनाधिकारी निलंबित
कनासर व टोंस के एक दर्जन वनाधिकारी सस्पेंड
देहरादून। सूखे पेड़ों की आड़ में सैकड़ों पेड़ों को काटने के जुर्म में टोंस वन प्रभाग के डीएफओ व अन्य अफसरों के निलंबन के बाद चकराता की कनासर रेंज के कई अफसरों को भी निलंबित किया गया है। निलम्बन की कार्रवाई के बाद विभाग में हलचल मची हुई है। अवैध कटान के मामले में कई वन माफिया भी संदेह के घेरे में है। इधर, प्राथमिक जांच के बाद कनासर रेंज के वन क्षेत्राधिकारी, दो वन दरोगा, तीन वन रक्षकों को निलंबित किया गया है।प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक ने वन क्षेत्राधिकारी महेंद्र सिंह गुसाईं को सस्पेंड कर दिया है। उन्हें वन विभाग के बागेश्वर कार्यालय अटैच किया गया है। उनके अलावा वन दरोगा प्रमोद कुमार और आशीष चंद्र, वन रक्षक मदन सिंह, शिवम गौतम और भगत सिंह राणा को भी निलंबित किया गया है।
पीसीसीएफ अनूप मालिक ने कहा कि सभी को चकराता मामले में डीएफओ के स्तर से जांच के बाद प्राथमिक रिपोर्ट सौंपी गई है। परीक्षण के बाद रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। प्राथमिक जांच में जो अधिकारी, कर्मचारी दोषी पाए गए हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। डीएफओ कल्याणी नेगी ने बताया कि अधिकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई का आदेश उन्हें मिल गए हैं। उन्होंने कहा कि अवैध पातन मामले की हर स्तर से जांच की जा रही है। दूसरी ओर, उत्तरकाशी जिले के पुरोला टोंस वन प्रभाग में काटे गए हरे पेड़ों के मामले में दो डिप्टी रेंजर सहित तीन वन दरोगा को भी निलंबित किया गया है।
टोंस वन प्रभाग में वन विकास निगम को जारी लॉट में 788 छपान वाले पेड़ों के सापेक्ष 108 देवदार के हरे पेड़ भी काट दिए गए थे। शुक्रवार को वन मुख्यालय के स्तर से कार्रवाई की गई। चीफ गढ़वाल नरेश कुमार की ओर से जारी आदेश में टॉस में तैनात डिप्टी रेंजर ज्ञानेंद्र जुवांठा, प्रीतम सिंह तोमर, वन दरोगा विजयपाल पंवार, लाखीराम आर्य, भरत सिंह तोमर को निलंबित कर दिया गया है।
अब तक इन्हें किया गया है सस्पेंड
डीएफओ सुबोध काला, प्रभारी एसडीओ विजय सैनी, रेंजर रामकृष्ण कुकसाल, गोविंद सिंह चौहान और ज्ञानेंद्र मोहन जुवाड़ा। इसके अलावा वन विभाग निगम के आठ कर्मचारियों में तत्कालीन डीएलएम पुरोला रामकुमार, लॉट प्रभारी नरेंद्र रावत, वन उपज रक्षक मोहन सिंह, प्रभारी सत्येश्वर लोहनी, वन उपज रक्षक मुरकंडी प्रसाद, अनुभाग अधिकारी पदम दास, लाट प्रभारी अजीत कुमार और वन उपज रक्षक विजयपाल शामिल हैं।