उत्तराखंड

आरटीए ने पहली बार वाहनों की अधिकतम गति सीमा की तय, पालन नही करने पर होगी कार्रवाई

देहरादून। पर्वतीय रूट पर संभागीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) ने पहली बार वाहनों की अधिकतम गति सीमा तय कर दी है। इस निर्णय का सीधा असर देहरादून समेत टिहरी व उत्तरकाशी जिले के पर्वतीय रूटों पर पड़ेगा। वाहनों की प्रकृति के हिसाब से गति सीमा तय करते हुए दोपहिया के लिए 20 और कार के लिए अधिकतम 45 किमी प्रति घंटे तय की गई है। अब तक इन रूटों पर अधिकतम गति सीमा के सामान्य मानक के मुताबिक कार्रवाई की जा रही थी। मंगलवार को संभागीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) की बैठक मंडलायुक्त सुशील कुमार की अध्यक्षता में ईसी रोड स्थित कैंप कार्यालय में हुई। बैठक में बड़ी बसों से लेकर सिटी बस, छोटी ओमनी बस व ई-रिक्शा के संचालन, नए रूटों को मंजूरी, गति सीमा निर्धारण व ट्रैवल एजेंसी संचालकों के पंजीकरण जैसे विषयों के प्रस्ताव पर चर्चा की गई। टिहरी में 84 व उत्तरकाशी में छह ऐसे मार्ग पाए गए, जिन पर वाहनों के संचालन के लिए मंजूरी नहीं मिल पाई थी।

इससे संबंधित रूट से जुड़े क्षेत्रों में परिवहन सुविधाओं से लेकर माल की आपूर्ति में कठिनाई हो रही थी। लिहाजा, प्राथमिकता के आधार पर इन रूटों पर वाहन संचालन की अनुमति प्रदान की गई। इसके अलावा नई बस नीति के मुताबिक कार्रवाई किए जाने से लेकर ट्रैवल एजेंसी संचालकों के अनिवार्य पंजीकरण व छोटी ओमनी बसों (टाटा मैजिक) के परमिट जारी करने की अवधि बढ़ाने संबंधी प्रस्तावों पर भी मुहर लगाई गई। संभागीय परिवहन प्राधिकरण के सचिव/संभागीय परिवहन अधिकारी सुनील शर्मा के अनुसार, पर्वतीय रूटों पर गति सीमा के निर्धारण के लिए परिवहन, लोनिवि व पुलिस विभाग की संयुक्त टीम का गठन किया गया था। अब गति सीमा को मंजूरी प्रदान कर दिए जाने के बाद सभी साइन बोर्ड बदले जाएंगे।

लोगों की जानकारी के लिए नई गति सीमा दर्ज की जाएगी और इसी के मुताबिक चालान व अन्य कार्रवाई की जाएगी। दैनिक जागरण ने बीते दिनों सड़कों पर सुरक्षित सफर के लिए चलाए गए अपने अभियान ‘इन दौड़ती भागती सड़कों पर निर्माण, सुविधा और सुरक्षा की समीक्षा’ में तेज रफ्तार वाहनों पर अंकुश नहीं होने के कारण होने वाली दुर्घटनाओं का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था। जिसके बाद परिवहन विभाग ने राज्य में प्रमुख मार्गों पर वाहनों की रफ्तार निर्धारित करने की बात कही थी।

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