स्वास्थ्य

मौत का खतरा कई गुना ज्यादा बढ़ा देती है आपकी एक आदत, शराब से भी ज्यादा खतरनाक

आजकल खराब लाइफस्टाल की वजह से कई तरह की बीमारियां फैल रही है. सबसे ज्यादा खतरा दिल की सेहत को होता है. कई आदतें ओवरऑल हेल्थ के लिए हानिकारक होती हैं। ऐसी ही एक आदत है देर तक बैठना. वैज्ञानिकों ने बताया है कि शराब की तरह ही लंबे समय तक बैठना भी सेहत के लिए खतरनाक है। एक अध्ययन में पाया गया कि ड्राइवर और कंडक्टर या गार्ड की सेहत की तुलना की गई। जिसमें पाया गया कि दोनों का खानपान और लाइफस्टाइल काफी हद तक एक जैसी थी, लेकिन ज्यादा देर तक बैठेने से हार्ट डिजीज का खतरा, खड़े रहने की तुलना में दोगुना पाया गया है। जानिए लंबे समय तक बैठने के साइड इफेक्ट्स…

बहुत देर तक बैठना क्यों खतरनाक
शोधकर्ताओं ने बताया कि ऑफिस में ज्यादा देर तक बैठने, घर में ज्यादातर देर तक बेड पर आराम करने या ड्राइविंग से सेहत को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचता है. फिजिकल एक्टिविटीज जितनी ज्यादा कम होती है, सेहत के लिए उतनी ही दिक्कतें बढ़ती हैं. ये उम्र को कम करने के साथ ही डिमेंशिया जैसी दिमागी बीमारी और डायबिटीज का खतरा बढ़ता है. इतना ही नहीं हार्ट की समस्याएं भी बढ़ाती हैं।

ज्यादा देर तक बैठने के नुकसान

1.  जल्दी मौत का खतरा
हेल्थ एक्सपर्ट्स ने बताया कि लंबे समय तक बैठे रहने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. जिसकी वजह से समय से पहले मौत का खतरा ज्यादा रहता है. अगर बहुत देर तक बैठते हैं और एक्सरसाइज भी करते हैं तो भी इसके खतरे को कम नहीं किया जा सकता है. इस आदत से हार्ट की समस्या, डायबिटीज जैसी खतरनाक बीमारियां बढ़ती हैं, जो उम्र को कम करती है।

2. डिमेंशिया का रिस्क
शोधकर्ताओं ने बताया कि ऐसे लोग जो बहुत देर तक बैठे रहते हैं, उनमें दिमागी समस्याएं यहां तक की डिमेंशिया का खतरा काफी ज्यादा रहता है. ज्यादा देर तक बैठने से हार्ट डिजीज, डायबिटीज, स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल का खतरा रहता है, जो डिमेंशिया का प्रमुख कारण है. इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट्स थोड़ी-थोड़ी देर में उठकर घूमने की सलाह देते हैं।

3. मोटापा और हार्ट का जोखिम
अगर ज्यादातर समय बैठकर टीवी देखने, काम करने या ऑफिस में बैठने में बिताते हैं तो बहुत ज्यादा मोटापा और वजन बढ़ सकता है. इससे डायबिटीज से लेकर हार्ट डिजीज का जोखिम बढ़ता है.  ज्यादा देर तक बैठे रहने से न सिर्फ कम कैलोरी बर्न होती है, बल्कि शरीर के इंसुलिन के प्रति प्रतिक्रिया करने का तरीका भी बदल जाता है, जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक का कारण माना जाता है।

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