मणिपुर को बचाने की जरूरत
अजय दीक्षित
दुर्भाग्यपूर्ण है कि मणिपुर देश के स्पंदित लोकतंत्र में जातीय हिंसा से लहूलुहान विद्रूप चेहरा बना हुआ है । यह विवाद ऊपरी तौर पर प्रदेश के शीर्ष न्यायालय की एक टिप्पणी पर एक पक्ष के विरोध के लोकतांत्रिक अधिकारों को सहन न करने और दूसरे पक्ष के उसी लोकतांत्रिक तरीके से प्रतिक्रिया देने की बजाय मुठभेड़ करने के तरीके से उत्पन्न हुआ है। प्रदेश की 53 फीसदी मेइति आबादी, जो हिन्दू है, को हाई कोर्ट ने चार हफ्ते के भीतर अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का निर्देश सरकार को दिया था । इसको वहां की 40 फीसदी कुकी आवादी ने भू-वन संपदा पर अपने नैसर्गिक अधिकार में छीना-झपटी माना । और मणिपुर जल उठा। हजारों लोग विस्थापित होकर अपने ही घर में शरणार्थी हो गये । यहां एक सवाल है कि इस मसले को शांतिपूर्ण रास्ते से हल नहीं किया जा सकता था क्या, जबकि प्रदेश को लोकतांत्रिक व्यवस्था में दशकों से रहने का तजुर्बा हासिल था? सवाल यह भी कि इससे आगे कैसे निकला जाये? केन्द्र सरकार ने अपनी तरफ से रिटायर्ड न्यायमूर्ति अजय लांबा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया है। इसे विवाद की वजहों और हिंसा के क्रमिक उफानों, इन्हें रोकने में कोताही के स्तर और जवाबदेही चिह्नित करते हुए सरकार के जवाब भी लेने हैं । इसकी रिपोर्ट छह महीने में देनी है । आयोग में जिस तरह से पूर्व नौकरशाह एवं पूर्व खुफिया अधिकारी को जगह दी गई है, उससे यही ध्वनित होता है कि सरकार उचित निदान के पक्ष में है ।
हालांकि विवाद के व्यापक होते पाट को देखते हुए लगता है कि मणिपुर में केवल आरक्षण की वात नहीं है । बहुसंख्यक धार्मिक समुदाय बनाम आदिवासी किंतु अपेक्षाकृत कम आबादी वाले कुकी समुदाय के जमीन – जंगल पर वर्चस्व के साथ सामाजिक-धार्मिक मतों की स्वतंत्रता का भी विवाद है । एक तीसरा कोण नागा है, जो बहुत सारे कुकी समुदाय को म्यांमार से आया बता कर उन्हें अपनी जमीन पर कब्जा किया हुआ मानते हैं । केन्द्र सरकार के पास स्वायत्त क्षेत्रीय परिषद का गठन का रास्ता है, जो इस सूरतेहाल में लाजिमी है । यह अन्यत्र जगह पर भी उपादेय साबित हुआ है । पर इसकी सहमति में कई पेच हैं । साथ ही, सरकार को अपनी कार्रवाई से यह भरोसा भी दिलाना है कि वह मणिपुर को विशुद्ध हिन्दू प्रदेश बनाने की जगह प्रदेश की शांति-समृद्धि और प्रगति की हिमायती है। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अपील पर दोनों समुदायों के भरोसे से यह ध्वनित भी होता है ।