प्रदूषण से ध्यान हटाने की केजरीवाल की रणनीति
दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार वायु प्रदूषण के मसले पर बुरी तरह से फेल रही है। हालात पहले से खराब हो गए हैं। कहा जा रहा है कि मर्ज बढ़ता गया ज्यों ज्यों दवा की। दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति यह है कि पिछले साल यानी 2022 में नवंबर महीने में सिर्फ तीन दिन हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में गई थी। इस साल आधे महीने में ही सात दिन वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर श्रेणी में पहुंच चुका है। चार दिन तो हवा इस वजह से साफ रही क्योंकि बारिश हो गई थी। अगर बारिश नहीं हुई होती तो सोचें, दिल्ली की क्या दशा होती। इस स्थिति से निपटने के लिए केजरीवाल सरकार के पास कोई योजना नहीं है। इसलिए किसी तरह से दिन काटने और ध्यान भटकाने की रणनीति पर काम हो रहा है।
ध्यान भटकाने की रणनीति के तहत केजरीवाल और उनकी सरकार ने दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। द्वारिका एक्सप्रेस वे की एक जमीन के मुआवजे के मामले विजिलेंस विभाग की मंत्री आतिशी ने कथित तौर पर जांच करा कर नरेश कुमार के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। उनकी रिपोर्ट केजरीवाल ने उप राज्यपाल को भेजी है और उन्हें निलंबित करने की सिफारिश की है। उन्होंने यह रिपोर्ट सीबीआई और ईडी को भेजने का निर्देश आतिशी को दिया है। पूरी पार्टी और सरकार इस मामले को ऐसे उछाल रहे हैं, जैसे आज दिल्ली का सबसे बड़ा मुद्दा यही हो। जबकि इस मामले का दिल्ली के लोगों से कोई लेना-देना नहीं है। केजरीवाल के बंगले की जांच और अधिकारियों से झगड़े की वजह से यह मुद्दा उठाया गया है।