उत्तराखंड

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से कराई गई संयुक्त प्रवेश परीक्षा बनी मजाक, परीक्षा केंद्रों में फेरबदल, अभ्यर्थी हुए परेशान

देहरादून। केंद्रीय विश्वविद्यालय एवं इससे संबद्ध कॉलेजों में दाखिले के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से कराई गई संयुक्त प्रवेश परीक्षा मजाक बन गई है। मनमाने तरीके से परीक्षा केंद्रों में फेरबदल कर देहरादून के बदले छात्र-छात्राओं के मेरठ, बरेली, मुजफ्फरनगर परीक्षा केंद्र दे दिए गए। जिससे सैकड़ों छात्र परीक्षा से वंचित रह गए। खासकर बीएड में अधिकतर छात्राएं परीक्षा नहीं दे पाई। उत्तरकारी निवासी बबीता बताती है उसने सीयूईटी की बीएड प्रवेश परीक्षा का फार्म भरा था। फार्म में परीक्षा केंद्र के रूप मेंं देहरादून परीक्षा केंद्र को वरीयता दी, लेकिन एजेंसी ने उसे मेरठ परीक्षा केंद्र आवंटित कर दिया।

परिजनों ने परीक्षा केंद्र इतनी दूर होने की वजह से परीक्षा की अनुमति नहीं दी। इसी जिले की पूजा को भी देहरादून की जगह मेरठ परीक्षा केेंद्र आवंटित किया गया। पांच से आठ जून तक यूजी कोर्सेज में दाखिले के लिए भी छात्र-छात्राओं के साथ कुछ ऐसा ही हुआ।एचएनबी केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर यादव प्रसाद रेवानी के मुताबिक यूजी में दाखिले के लिए एनआईटी श्रीनगर, पौड़ी और इंजीनियरिंग कालेज घुड़दौड़ी को परीक्षा केंद्र बनाया गया था, लेकिन हर केंद्र में हर दिन डेढ़ से दो सौ छात्र परीक्षा में बैठ सकते थे, लेकिन एक केंद्र में 30 से 35 छात्रों को केंद्र आवंटित किया गया। मेरठ और बरेली में अधिक बच्चों को केंद्र आवंटित किए गए।

जबकि हमारे यहां इतनी जगह थी कि पूरे क्षेत्र के बच्चे कवर हो सकते थे। इनको यह पता नहीं है कि पहाड़ में एक से दूसरे जगह की दूरी कितनी है। श्रीनगर के बच्चों को हल्द्वानी और बरेली केंद्र आवंटित किया गया। पर्वतीय मार्ग का सफर और ऊपर से यात्रा सीजन ऐसे में ऋषिकेश पहुंचने में ही बच्चों को छह से सात घंटे लग रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूट उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ सुनील अग्रवाल बताते हैं एजेंसी ने परीक्षा के नाम पर छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया है। उन्होंने यूजीसी एवं गढ़वाल विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों को प्रवेश परीक्षा की बाध्यता से मुक्त रखने को कहा है।

गढ़वाल विवि में अभी तक 5 से 8 जून तक लगभग 130 छात्रों ने परीक्षा दी है। यहां 9 और 10 जून को भी परीक्षा होनी थी, लेकिन बाद में स्थगित कर दी गई। वहीं एनआईटी में अभी तक 8 जून को ही परीक्षा हुई है। संस्थान को 12, 14 व 16 जून को परीक्षा के लिए कहा गया है, लेकिन अभी तक संस्थान को शिड्यूल नहीं मिल पाया है। केंद्र व्यवस्थापक प्रो.वाईपी रैवानी बताते हैं हमारी ओर से तीनों शिफ्टों में लगभग 300 छात्रों की व्यवस्था है, लेकिन काफी कम छात्रों को केंद्र आंवटन हो रहा है। व्यवस्था से मायूस छात्रा सोनाली रमोला ने बताया कि सीयूईटी की बीएड प्रवेश परीक्षा फार्म में टिहरी, देहरादून और रुड़की के लिए परीक्षा केंद्र चुना था।

लेकिन मुजफ्फरनगर का परीक्षा केंद्र आवंटित कर दिया गया। जबकि फार्म में मुजफ्फरनगर का कोई ऑप्शन भी नहीं था। जिससे आठ जून को प्रस्तावित प्रवेश परीक्षा छोडऩी पड़ी। इसी तरह छात्रा प्रतिभा रावत ने बताया कि एमए में प्रवेश के लिए पौड़ी और देहरादून का ऑप्शन दिया था। लेकिन हल्द्वानी आवंटित कर दिया गया है। काफी दूर होने के कारण मजबूरन परीक्षा में शामिल नहीं हो रहे। सीयूईटी (संयुक्त विवि प्रवेश परीक्षा) के लिए गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय और एनआईटी (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान) उत्तराखंड में परीक्षा केंद्र बनाए जाने के बावजूद यहां बहुत कम संख्या में अभ्यर्थियों का आवंंटन हो रहा है।

परीक्षा करा रही एजेंसी एनटीए (राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी) केंद्रों को समय पर सूचना उपलब्ध नहीं करा रही है। साथ ही ऐन मौके पर केंद्र में परीक्षा निरस्त कर दी जा रही है जबकि दोनों संस्थानों ने अपनी ओर से केंद्रों में पूरी व्यवस्था की हुई है।

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