अतिक्रमण कर बनाये गए धार्मिक स्थलों को हटाने के लिये कोई पृथक शासनादेश नहीं
देहरादून। उत्तराखण्ड में अतिक्रमण कर बनाये गये धार्मिक स्थलों को हटाये जाने के सम्बन्ध में अलग से कोई शासनादेश जारी नहीं किया गया है । जबकि शासनादेश संख्या 124569 से उत्तराखंड की सभी सरकारी सम्पत्तियों को अतिक्रमण मुक्त कराने व रखने के लिये विस्तृत नीति लागू की गयी है। इसके अनुसार अतिक्रमण के लिये प्रभारी अधिकारी ही जिम्मेदार होंगे। काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी से अतिक्रमण व धार्मिक स्थलों को हटाये जाने के सम्बन्ध में जारी शासनादेश व आदेशों की सूचना मांगी थी।
इनके उत्तर में राजस्व विभाग से सूचना मांगने को निर्देशित करने पर राजस्व विभाग के लोक सूचना अधिकारी से सूचना मांगी। राजस्व विभाग के लोक सूचना अधिकारी/अनुभाग अधिकारी नीता बिष्ट ने स्पष्ट किया कि सरकारी भूमि पर अतिक्रमण को हटाये जाने के सम्बन्ध में राजस्व विभाग द्वारा शासनादेश संख्या 1/124569/2023 दिनांक 24 मई 2023 निर्गत किया गया है। किन्तु सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर बनाये गये मात्र धार्मिक स्थलों को हटाये जाने के सम्बन्ध में पृथक से राजस्व विभाग द्वारा कोई शासनादेश निर्गत नहीं किया गया है। नदीम को उपलब्ध शासनदेश सं0 124569 के अनुसार राज्य के विभिन्न विभागों की भूमि/परिसम्पत्तियों के अतिक्रमण को तत्काल रोके जाने एवं हटाये जाने तथा भविष्य में न होने के सम्बन्ध में निर्देश जारी किये गये हैं।
शासनादेश के अनुसार समस्त सरकारी विभागों/अर्द्ध सरकारी/स्वायत शासी संस्थाओ, निगम परिषद स्थानीय निकायों (नगर/ग्रामीण) आदि के द्वारा विभागीय स्तर पर अथवा भूमि/भवन के स्वामित्व सम्बन्धी राजस्व/स्थानीय निकायों के स्तर पर संरक्षित अभिलेखों के आधारों पर अपने स्वामित्व/प्रबंधन में अंकित भूमि/भवन की आधार परिसम्पत्ति पंजिका एक माह में तैयार/अपडेट कर ली जायेगी। विभाग/संस्थाओं के प्रमुख द्वारा अपने जनपद स्तरीय अधिकारियों से सभी सम्पत्तियों के परिसम्पत्ति पंजिका में सम्मलित करने व न छूटी होने का प्रमाण पत्र प्राप्त किया जायेगा।
उक्त परिसम्पत्ति पंजिका के आधार पर मौके की वास्तविक स्थिति का सत्यापन भौतिक स्थलीय निरीक्षण कराया जायेगा तथा सेटेलाइट/ड्रोन वीडियो आदि द्वारा भिन्न तैयार किया जायेगा और परिसम्पत्ति पंजिका को डिजिटल रूप में तैयार कराते हुये इसे परिसम्पत्ति पोर्टल पर जी.आई.एस. फैसिंग के साथ डाला जायेगा। डिजिटल पंजिका तैयार हो जाने के उपरान्त सम्बन्धित विभाग/संस्था के प्रमुख द्वारा प्रत्येक सम्पत्ति के भविष्य में उचित रखरखाव/संरक्षण हेतु क्षेत्रवार प्रभारी अधिकारी नामित किये जायेंगे जो उन्हें आवंटित सम्पत्तियों के सुप्रबन्धन एवं संरक्षण के साथ-साथ उन पर संभावित अतिक्रमण/अनधिकृत कब्जे की संभावना पर अंकुश लगाने हेतु पूर्णतः उत्तरदायी होंगे। प्रभारी अधिकारियों का नामांकन एवं उन्हें दायित्व आवंटन भूखंडां/परिसम्पत्तियों के सम्बन्ध में यूनिक नम्बर आदि विवरण के साथ तथा मार्ग एवं सिंचाई गूल/नहर आदि की दशा में किमी/मीटर चैनेज के अनुसार किया जायेगा।
नामित अधिकारी द्वारा मासिक आधार पर परिसम्पत्तियों की मौके पर स्थिति का स्थलीय निरीक्षण तथा सेटेलाईट/ ड्रेन/वीडियो आदि प्राप्त करके सत्यापन किया जायेगा व पोर्टल पर अपडेट किया जायेगा। अतिक्रमण हटाने के सम्बन्ध में की गयी कार्यवाही का विवरण एवं उसके चित्र फोटो/वीडियो मासिक आधार पर एक्शन रिपोर्ट के रूप मे पोर्टल पर डाला जायेगा। विभाग/संस्था के प्रमुख द्वारा मासिक आधार पर यह मूल्यांकन किया जायेगा कि परिसम्पत्तियों पर नवीन अवैध अतिक्रमण/अनाधिकृत कब्जा तो नहीं हुआ है यदि पाया जाता है तो सम्बन्धित प्रभारी अधिकारी का उत्तरदायित्व निर्धारित करने की कार्यवाही सक्षम प्राधिकारियों द्वारा यथा नियम की जायेगी।
शासनादेश में सरकारी/सार्वजनिक परिसम्पत्तियों के प्रबंधन कार्य के प्रभावी पर्यवेक्षण समन्वय एवं अनुश्रवण के लिये तीन समितियों/प्रकोष्ठ के गठन का भी प्रावधान किया गया है। इसमें जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में जनपद स्तरीय सरकारी/सार्वजनिक परिसम्पत्ति प्रबंधन समिति, आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय प्रकोष्ठ तथा मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति शामिल है।