ग्वालियर। पाकिस्तान जाकर अपने फेसबुक फ्रेंड से निकाह करने वाली अंजू का ग्वालियर से नाता है। अंजू के इस कदम से पूरा परिवार दुखी है और आक्रोशित भी। उसके पिता गया प्रसाद का कहना है कि उनके लिए तो वह मर गई है। अंजू का परिवार ग्वालियर के पास टेकनपुर बीएसएफ अकादमी के नजदीक बसे बोना गांव का निवासी है। उसके पिता और मायके के सदस्य यहीं रहते हैं।
अंजू के पाकिस्तान में अपने फेसबुक फ्रेंड से निकाह करने की खबर जैसे ही सामने आई और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, उसके बाद से अंजू के रिश्तेदार चर्चाओं में हैं। अंजू के पिता गया प्रसाद ने संवाददाताओं को बताया कि अंजू की एक 14 साल की बेटी और छह साल का बेटा है, अब उसे कौन संभालेगा। अंजू को अगर ऐसा ही कदम उठाना था तो पहले उसे अपने पति को तलाक देना चाहिए था और घर वालों को भी बताना चाहिए था। उसकी लगभग 20 साल पहले शादी हुई थी। उन्हें यह पता पहले से नहीं था कि अंजू ऐसा कदम उठाने वाली है। उनकी तो उससे वर्षों में कभी कभार बात होती है। हां शादी और दूसरे समारोहों में जरूर उसका आना-जाना रहा।
मां से जरुर बात होती रही है। उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि हमारा उस लड़की से कोई लेना देना नहीं है। पहली शादी के बाद वैसे ही रिश्ते रहे, जैसे बाप बेटी के होते हैं, कभी कभार उसका आना-जाना होता था क्योंकि वह हम से पांच सौ किलोमीटर दूर रहती थी। मुझे तो इस बात की भी जानकारी नहीं थी कि उसने कब वीजा और पासपोर्ट बनवाया। जो लड़की घर से बाहर चली गई वह एक तरह से हमारे लिए तो मर गई है। पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कई बार तो वह गुस्से में भी आ गए और उन्होंने यही कहा कि बेटी के दिमाग में क्या चल रहा था, वह कुछ नहीं जानते। मैं पिता होने के नाते कैसे कह सकता हूं कि लड़की के मन में क्या चल रहा था।
मुझे इस बात का दुख है कि उसे अपने बच्चों का भी ख्याल नहीं आया। अगर उसे कहीं और शादी करनी थी तो पति को उसे तलाक देना चाहिए था और उसके बाद दूसरी शादी करती। एक तरफ जहां उस लड़के का जीवन खराब हो गया, वहीं इन दो बच्चों की जिंदगी खराब हुई। जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किया है क्या बेटी पर किसी तरह का दबाव रहा होगा इसलिए पाकिस्तान गई तो उन्होंने कहा, हमारी तरफ से उस पर कोई दबाव नहीं था, न भेजने का था न आने का। न मैं बात करना चाहता हूं और न आज तक बात की है। मैं भारत सरकार से कोई अपील नहीं करूंगा कि उसे वापस लाया जाए उसे तो वहीं मरने दो।